रिश्ते… दिल से दिल के - 5

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रिश्ते… दिल से दिल के एपिसोड 5 [प्रदिति ने की मदद] ट्रेन आकर दिल्ली के स्टेशन पर रुकी। प्रदिति ने अपने सामान के साथ उतरकर चारों तरफ देखा और चहरे पर एक मुस्कान लेकर बोली, "मां! आ गई हूं आपके शहर। अब मैं अपनी पूरी जान लगा दूंगी आपको और पापा को मिलाने में। अब मैं अपने परिवार को फिर से जोड़कर रहूंगी।" फिर ऊपर की तरफ देखकर बोली, "हे महादेव! मेरी मदद करना। बस आपसे ही उम्मीद है।" कहकर वो अपने सामान के साथ आगे की तरफ चली गई। … "ये है आपका बेडरूम।" विनीत जी ने प्रदिति के