सबा - 34

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मंत्रीजी के वापस लौट कर आते ही पीछे पीछे एक सेवक बड़ी सी ट्रे में तीन चार प्लेटें लेकर हाज़िर हुआ जो फलों और मेवे से भरी थीं। पनीर पकौड़ों की प्लेट से गर्म भाप भी उड़ रही थी। चाय अभी सुनहरे प्यालों में नहीं बल्कि केतली में ही थी ताकि नाश्ते के दौरान कहीं ठंडी न हो जाए। सालू हैरान था कि ये शानदार आवभगत किसके लिए थी? लेकिन जब मंत्रिजी ने सामने बैठते हुए एक भुना काजू मुंह में डाला तो सालू को लगा कि नाश्ता उसी के लिए आया है। कमरे में न तो कोई और है