राजा लौट आया। विदेश से लौटने के बाद उसने अपने मैनेजर साहब से कुछ दिन गांव में ही रहने की अनुमति मांगी। ऐसी अनुमति न मिलने का कोई कारण नहीं था। लेकिन अब राजा वो न रहा था जो अपने गांव में रहने के दिनों में था। उसके मानस रंध्र खुल गए थे। उसके सोच के गलियारों के पलस्तर उखड़ गए थे। वह जब भी सुबह - शाम यार दोस्तों के संग घूमने- फिरने के ख्याल से घर से निकलता तो ढेरों मंसूबे बांधता हुआ निकलता, दोस्तों को ये बताएगा, वो बताएगा, लेकिन उसके सारे मंसूबे धरे के धरे रह