उस रात को मुझे भी कहीं न कहीं नींद नहीं आ रही थी। जिस कारण देर रात पढ़ाई करता रहा। लेकिन पढ़ाई के इलावा सब कुछ करता रहा। कुर्सी पर बैठे बैठे करवट लेना और उबासियां लेना। सोच रहा था। बीती बातें जो की कभी लोगों से सुना करता था। *प्रेम नगर मत जाना मुसाफिर प्रेम नगर मत जाना।*और कब सुबह हो गई कुछ पता ही न चला। मेरे हिस्से में फिर वही नियमवाली आई। और रोज की तरह मुझे लाइब्रेरी जाना हुआ।जो की कोई नई बात नही थी। जब मैं लाइब्रेरी पहुंचा तो फिर तय शुदा समय पर उनका