मां। - भाग 2

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मां दुनिया में कोई हस्ती नहीं बनी है जो मां की बराबरीकर सके। मां ही है वो कश्ती जो भवसागर से नैयापार करा सके।चाहे कितने तीर्थ कर लें हम आठों याम।मां के चरणों में ही मिलेंगे सारे तीर्थ धाम।मां बिना ना देने वाले हैं कोई भी सुख शांतिऔर अमन चैन।मां मनाती है हर हमेशा बच्चों की सलामतीदिन रैन।प्यार भी मां है बहार भी मां है और सावन कीरिमझिम फुहार भी है मां।कोशिश हमारी यही हो कि मां के आंसू नहीं बहे।बस अनहद परिश्रम करके मां के लिए सुख केसाधनों को उपलब्ध कराएं।दिल के साज और सितार भी है मां।बरगद वृक्ष