जहाँ चाह हो राह मिल ही जाती है - भाग - 4

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शक्ति सिंह से मिल कर घर वापस आने के बाद हीरा लाल बहुत बेचैन थे, अपनी पत्नी को उन्होंने सारी परिस्थिति से अवगत कराया और विजया का अधिक ख़्याल रखने की सलाह दी। गायत्री भी बेहद डर गई थी, उन्होंने अब विजया की तरफ़ और अधिक ध्यान देना शुरु कर दिया। विजया को उस पुरानी इमारत में जाने से भी मना किया। नादान विजया बार-बार प्रश्न करती रहती, "वहाँ क्या है मम्मा, वहाँ क्यों नहीं जाना चाहिए? वहाँ तो बहुत सारी दीदी और आंटी रहती हैं। एक दीदी तो मेरी दोस्त भी बन गई है और मुझे रोज़ बुलाती है।"