सबा - 13

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मैडम धाराप्रवाह बोल रही थीं और बिजली उनके सामने चुपचाप बैठी कौतुक से उनकी बात सुन रही थी। कभी- कभी जब बिजली को मैडम की बात बहुत ही अटपटी या अनहोनी सी लगती तो वह असमंजस में अपनी दोनों हथेलियां अपने गालों पर रख लेती और उछल कर उकड़ूं बैठ जाती। उनकी बात सुनने में उसे ये भी ख्याल नहीं रहता कि उसने अपने पैर कुर्सी की गद्दी पर टिका दिए हैं।मैडम भी उसे ऐसा करते देख कुछ नहीं बोलती थीं। शायद उन्हें लगता होगा कि जाने दो, गंदा करेगी तो क्या, कल खुद ही साफ़ भी करेगी। आखिर थी