शकराल की कहानी - 11

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(11) “बहरहाल उजाला फैलने से पहले ही वह गुलतरंग की गुफाओं के निकट पहुँच गये थे । अब तुम आगे चलो हमें उसी गुफा तक पहुँचना है जिसमे से... राजेन ने बात अधूरी हो छोड़ दी। यह बात उसने बहादुर से कही थी। फिर बहादुर के पथ प्रदर्शन में वह उस गुफा में प्रविष्ट हुये थे जिसके किसी गुप्त मार्ग से गुजर कर वह मीरान घाटी में दाखिल हो सकते थे। अब हम कुछ देर तक यहीं आराम करेंगे। वहादुर ने कहा । मगर नाश्ते का क्या होगा - ? राजेश ने पूछा । “सब सामान साथ में है— बहादुर