मुसाफ़िर जाएगा कहाँ?--भाग(१६)

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मास्टर प्रभुचिन्तन को ये चिन्ता सता रही थी कि अगर उन्होंने अपनी जमीन जमींदार साहब को ना दी तो फिर जमींदार साहब ना जाने किस हद तक गुजर जाएं,उन्हें अपनी चिन्ता नहीं थी लेकिन उन्हें अपनी बेटी की बहुत चिन्ता थी और वें इसी तरह चिन्ता में डूबे बैठे तो उनकी बेटी निर्मला ने उनके पास आकर पूछा.... क्या हुआ बाबूजी! आप इतनी चिन्ता में क्यों बैठें हैं ? क्या बताऊँ बेटी! मुझे मुखिया की बातों ने चिन्ता में डाल रखा है मास्टर प्रभुचिन्तन बोले... बाबूजी! ये देश आजाद है और यहाँ किसी की हूकूमत नहीं चलेगी,चाहे कुछ भी हो जाए,आप