सबा - 3

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दोनों की घनिष्ठता बढ़ने लगी और अब उनकी यही कोशिश रहती कि जब भी मौक़ा मिले, वो कहीं न कहीं मिलने की योजना बनाएं। लड़की ने एक अकेली महिला का खाना बनाने का जो काम लिया था वो इसी तरफ़ था जहां लड़का काम करता था। भोजन बनाने में जैसे लड़की के हाथ- पैरों में कोई जादू असर कर जाता और वो झटपट काम निपटा कर लड़के की दुकान की ओर दौड़ लगा देती। साइकिल तो थी ही। आननफानन में पहुंच जाती। जो लड़का पहले पांच बजे भागने को तैयार रहता था और कभी ज़्यादा काम होने पर बेमन से