क्या तुमने - भाग - ९ 

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सखाराम ने बसंती के माता-पिता से माफ़ी मांगते हुए कहा, “समधी जी मुझे ऐसा लगता है कि अब मोहन कभी नहीं सुधरेगा। हमें अब उसकी पुलिस में शिकायत कर देनी चाहिए। उनके डर से शायद वह …” “पता नहीं समधी जी हमारी बेटी के भाग्य में क्या लिखा है। कैसी थी वह और अब कैसी हालत हो गई है उसकी।” सखाराम ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “चलो कुछ देर आराम कर लो।” उसके बाद सब लोग घर आ गए। जयंती ने सभी के लिए चाय बनाई। बसंती का पूरा शरीर हरा, नीला, काला हो रहा था। वह