गोविंद आज मोहन के मन में पल रहे पाप को पहचान गया था। वह जानता था कि बिना शक के मोहन यह सब नहीं करता। वह सच में उस पर शक करता है। घर में किसी तरह का तनाव ना हो इसलिए गोविंद ने बसंती से बातचीत करना कम कर दिया। बेचारी बसंती भी अब घबराने लगी थी। वह भी गोविंद से कम ही बात करती थी लेकिन मोहन बिल्कुल नहीं बदला। अब वह हर रोज़ शराब पीकर आने लगा और किसी ना किसी बात पर घर में तमाशा करने लगा। बसंती के ऊपर हाथ भी उठाने लगा। एक हंसता