रात का वक्त , रागिनी का कमरा रागिनी बेड पर बैठी मुस्कुरा रही थी और गिरिराज उसे पैरों में अपने हाथों से पायल पहना रहा था । उसने पायल पहनाने के बाद हल्के होंठो से पैरों को चूम लिया । रागिनी अपने पैर पीछे करते हुए बोली " छोडिए ठाकुर साहब हमेशा आप हमे उतरन ही पहनाते रहिएगा । आपकी थकान हम दूर करते हैं और हीरे जवाहरात से आपकी पत्नी लदी रहती है । वो तो नाम की बीवी हैं , असली प्यार तो हम ही आपको देते हैं उसके बाद में हमे आप उसकी उतरन देते हैं ।