एक योगी की आत्मकथा - 20

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{ कश्मीर-यात्रा में बाधा }“पिताजी! मैं गर्मी की छुट्टियों में गुरुदेव और चार मित्रों को लेकर हिमालय की तलहटी में स्थित पहाड़ियों के क्षेत्र में जाना चाहता हूँ। क्या आप मुझे कश्मीर के छः रेलवे-पास और यात्रा में खर्च के लिये पर्याप्त रुपया देंगे?”मेरी अपेक्षा के अनुरूप ही पिताजी ठहाका मारकर हँसने लगे। “यह तीसरी बार है कि तुम मुझे फिर वही शेखचिल्ली की कहानी सुना रहे हो। पिछले साल और उसके पिछले साल भी तुमने मुझसे यही अनुरोध किया था न ? अन्तिम क्षण में श्रीयुक्तेश्वरजी जाने से मना कर देते हैं।” “यह सच है, पिताजी! पता नहीं क्यों