संतों की महिमा अपरम्पार है। उनकी कृपा अहेतुकी होती है। उनके दर्शन मात्र से चारों धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष, सभी कुछ प्राप्त हो सकता है। जैसा कि कबीरदासजी ने सोच समझकर अपनी वाणी में स्पष्ट कहा है – तीर्थ नहाए एक फल, संत मिले फल चार। सद्गुरु मिले अनन्त फल, कहत कबीर विचार।। श्री मदभागवत में भी संतों के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के कल्याण की बात कही गई है – नम्हम्यानि तीर्थानि न देवा कृच्छिलामाया:। ते पुनन्त्युरुकलिन दर्शनदिव साधव:।। 4 आगत को देखा नहीं विगत हो गया स्वप्न। आगत-विगत विभेद सब जाना बिना प्रयत्न।। जीवन एक