( कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर padhe)वरदान का आज युवराज के तोर पर राज्याभिषेक होना था और दूसरी और शाम को अयंशिका के जन्मोत्सव की तैयारी भी चल रही थी.. ज़ब से वरदान ने अयंशिका से उसकी पायल ली थी वो बहुत नाराज़ थी उससे इसलिए वो उसे अनदेखा कर रही थी।बड़े जोरो सोरो से चुनारगढ़ सजा हुआ था.. पर आने वाले वक़्त से सब अनजान थे..शाम को ज़ब वरदान युवराज के पद पर घोषित हुआ उसने अपनी शपथ ग्रहण की तो सब बहुत ख़ुश थे.. अब बारी अयंशिका के जन्मोत्सव की थी.. पर तभी अचानक