Wrong Number - 12

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कुछ घण्टो में सामर्थ्य अपने पैतृक घर...बाहर खड़ा था...... अपने घर को हि देखे जा रहा था कितने वक़्त बाद यहाँ था !कितनी हि यादे जुडी थी अपना बचपन माँ पापा का लाड दुलार अनुशासन सब तो यही सीखा था! ऐसा नहीं था कि उसे चाह नहीं थी आने कि बस अपने सपने को मुकाम देने के लिए दूर था बस दूरियो से दूरी थी ना कि दिल से l सामर्थ्य घर कि चौखट पर पहुंचा था कि एक रौबदार आवाज से उसके कदम ठिठक गये l वही ठहर जाओ! चौककर देखने लगा उसे अपने पिता कि शख्सियत का अंदाजा