बुंदेलखंड के प्रत्येक राजवंश के राजपुरुष अथवा राज माहिषि पर, प्रथक-प्रथक दीर्घ आलेख लिखे गए और लिखे जा सकते हैं, किंतु बुंदेला राजवंश की दतिया शाखा के रियासत कालीन इतिहास की जिस कड़ी को, लेखकों , इतिहासकारों नेे लगभग विस्मृत कर दिया, अथवा अनदेखा कर दिया, बल्कि कहा जाए तो, उपेक्षित कर दिया, वास्तविकता में, उस एक कड़ी के बगैर, दतिया राजवंश का उल्लेख अधूरा ही रहता है।कुछ इतिहासकारों ने, कुछेक महत्वपूर्ण घटनाओं में उनका उल्लेख तो जरूर किया, किंतु सतही तौर पर। बिना उक्त भूमिका का महत्व समझे। रानी सीता जू के व्यक्तित्व और कृतित्व का सत्यार्थ मूल्यांकन अब