प्रिया अब सामान्य हो चुकी थी, पर अभी भी उसने किसी को कुछ नही बताया था.....अनिकेत,सौम्या और मिहिर क्लास में जा चुके थे पर मैं अभी भी प्रिया के पाया ही था.....उसके रोने का कारण पूंछने की हर सम्भव कोशिश करने के बाद असफल होकर यूं ही उसके पास बैठा हुआ कभी उसको,तो कभी बास्केटबॉल के उस खाली पड़े कोर्ट को निहार रहा था......तभी अचानक से प्रिया ने अपना मौनव्रत तोड़कर बोलना शुरु किया प्रिया- "पता है वैभव.....मैं बहुत अकेला फील कर रही हूँ खुद को......" मैं- "आख़िर ऐसा भी क्या हुआ?" प्रिया- "वैभव ,सिर्फ तुम पे ट्रस्ट करके अपने