(कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )अयंशिका का बहुत मन था धर्म को अपने हाथ की खीर खिलाने का.!!उसने रात को भी थोड़ी सी खीर बनाई और फिर वो वरदान वाले खेमे मे घुस गई. वहा शान. संजय और वरदान भी धर्म के साथ थे.धर्म ख़ुश हो के :- अंशी आप.!!अयंशिका सबको अनदेखा कर :- हा हमने कितने प्यार से सुबह खीर बनाई थी.. आप नहीं थे हमारा मन था इसलिए हमने फिर से खीर बनाई है आपके लिए.!!आइय वो बड़े हक से धर्म का हाथ पकड़ उसे बैठा देती है और प्यार से उनको