दस्तक दिल पर - भाग 13

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"दस्तक दिल पर" किश्त-13बहुत ही असमंजस की स्थिति बनी थी,उस दिन मुझे उससे पहली बार मिलने का मौका मिलने वाला था, पर अचानक ये मीटिंग कहाँ से आ गई.....मैं मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था, “हे भगवान, बस कैसे भी मेरा इस मीटिंग से पीछा छुड़वा दे।” रिजिनल मैनेजर साहब को आने में देर हो रही थी, और मेरा दिल धड़क रहा था । डेढ़ बज गया था, न रिजिनल मैनेजर आये, ना मीटिंग अटैंड करने वालों का नाम डिसाइड हुआ । हम सब बार बार उनके P.A. से पूछ रहे थे , साहब कब आएंगे? और