""दस्तक दिल पर" किश्त-12 मेरा मन किया कैब वाले का मुँह तोड़ दूँ, उसे भी अभी आना था। मैंने उम्मीद भरी नज़र से उसे देखा कि शायद वो रोक ले, मगर वो तो भेजने पर उतारू थी। उसने मेरा बैग उठाया और मेरी ओर बढ़ा दिया। मैं समझ गया था, वो मुझे नहीं रुकने देगी। मैंने उसका चेहरा पढ़ने की कोशिश की, मगर वो कठोर और भाव शून्य लगा। मैंने बैग उसके हाथ से लेकर एक ओर रखा, और उसके गले से लिपट गया, वो संयत खड़ी थी, फिर उसके हाथ मेरे गिर्द कस गए, मैंने उसे होले से फिर