"दस्तक दिल पर" किश्त-11 मैं उसके घर की गली में प्रवेश कर गया था। आस पड़ोस में अभी भी जाग थी। मैंने उसे मैसेज किया “आस पड़ोसी जाग रहे हैं, कोई देखेगा तो?”“आप आ तो जाओ, मैं गेट पर खड़ी हूँ।” मैं जल्दी जल्दी से कदम बढ़ा के उसके घर प्रवेश कर गया। उसने घर को लॉक किया। हम ड्राइंग रूम में ही बैठ गए। मैं उस से नज़रें नहीं मिला पा रहा था। वो मेरे दिल का हाल समझ रही थी। मैं संयत हो जाऊँ ऐसा सोच उसने कहा, “मैं चाय बना लाती हूँ, आप तब तक कोई गाना