लकीर...

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जब मैं चार पाँच साल की रही हूँगीं,तब मैंने उन्हें पहली बार तुलसिया दाई के मंदिर में नाचते हुए देखा था,मैं अपनी पड़ोस वाली आण्टी के साथ उस मंदिर में गई थीं,तब मुझे समझ नहीं आया था कि मर्दाना लिबास में कोई मर्द भला कैसें मंदिर में नाच सकता है,मुझे वो बात बिलकुल भी समझ नहीं आई थी क्योंकि वो बात मेरी समझ से परे थी,मैं उन्हें ध्यान से देख रही थी,उन्होंने लहंगा-चुन्नी पहना था,नाक में नथ भी पहनी थी,वकायदा श्रृंगार करके वें देवी के सामने नृत्य कर रहे थें,वें कभी आरती की थाली लेकर माता की आरती उतारने लगते