प्रेम गली अति साँकरी - 37

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37— ================== इतने लंबे-चौड़े परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ था, संस्थान में छुट्टी घोषित कर दी गई थी | अजीब प्रकार का वातावरण था, उदासी से भरा ! मैं तो मन में हमेशा जगन के बारे में यही सोचती रहती थी, इसका मतलब मैं यही चाहती थी फिर इस घटना से क्यों इतनी अधिक उदास व उद्विग्न थी?  “मे आई कम इन ----? ”मैं नहाकर निकली ही थी कि बाहर से आवाज़ आई |  “आओ उत्पल ----” मैंने अपने बालों को तौलिए में लपेट रखा था |  यहाँ से जाते हुए अम्मा-पापा कह गए थे कि वे फ़्रेश होने जा