दस्तक दिल पर - भाग 4

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दस्तक दिल पर- किश्त 4 मैं होटल के कमरे में आ गया था, सोने के लिए कम्बल में घुस गया था, रह रहकर पूरी रात आंखों के आगे घूम रही थी, मैंने आँखें जोर से बंद कर ली , पर उसका हथेलियों से ढका हुआ चेहरा बार बार सामने आ रहा था।दिल बैठा जाता था, मैंने बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी थी, मैं ये भी नहीं कह सकता था कि शराब के नशे में हुआ सब, क्योंकि जिस वक्त मैंने वो शर्मिंदगी भरी हरकत की थी, उस वक़्त तो नशा कब का काफूर हो चुका था अगर शराब के नशे