हवेली - 18

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## 18 ## अंकिता सुबह उठकर बहुत बेचैन थी। जुई और अंकिता एक ही कमरे में रहते हैं। बिना कोई कारण अंकिता की बेचैनी उसे समझ में नहीं आ रही थी। बहुत देर से वह इधर-उधर टहल रही थी। एक हाथ में दूसरे हाथ को मलते हुए कमरे में इस तरह घूमते अंकिता को दो घंटे से देख रही है जुई। किसी से कुछ नहीं कहती बस अपने आपमें बातें करती जा रही है। हमेशा शांत, सरल रहने वाली अंकिता को इस तरह बेचैन देखकर वह चुप कैसे रह सकती थी आखिर दोनों में गहरी दोस्ती जो है। जुई चुप