## 17 ## समय के साथ-साथ सुलेमा और कबीर के बीच की नजदीकियाँ बढ़ने लगीं। सुलेमा के परिवार वालों को कबीर और सुलेमा की दोस्ती से ऐतराज नहीं था। कबीर बाग से फूल लाकर हवेली के कोने-कोने में सजाता और साथ-साथ सुलेमा भी कबीर की मदद करती, उन दोनों में गहरी दोस्ती कायम होने लगी। सुलेमा को कबीर का हवेली में आना-जाना अच्छा लगता था। सुलेमा की खिलखिलाती हँसी कबीर में एक नया जोश भर देती। सुलेमा की खुशी के लिए कुछ भी करने को हर दम तैयार रहता था। कबीर का अक्सर हवेली में आते-जाते रहना सुरेय्या को बिल्कुल