## 4 ## पुणे शहर से 200 किलोमीटर दूर जंगल की ओर बढ़ती एक सूनी-सी सड़क। सड़क के दोनों तरफ सूखे मैदान और कंटीले पौधों से भरा रास्ता। उस रास्ते पर कुछ दूर जाने के बाद बस एक कच्चे रास्ते में सफर करने लगी। दोनों तरफ लंबे-लंबे वृक्ष खड़े और साथ-साथ ऊबड़-खाबड़ रास्ते। लग रहा था बस कहीं जंगल के भीतर प्रवेश कर रही है। जैसे-जैसे बस आगे बढ़ती गई जंगल और भी घना होने लगा। सूरज की रोशनी को भी जंगल के अंदर प्रवेश करते इन वृक्षों के बीच से गुजरना पड़ रहा था। कहीं-कहीं उल्लू की कुडु-कुडु आवाज