दस्तक दिल पर - भाग 3

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दस्तक दिल पर किश्त-3 हम दोनों उठ खड़े हुए , वो जीने पर आगे आगे चल रही थी और मैं उसके पीछे पीछे था , रात का कोई 1.30 का समय हो चला था , अभी अभी दिवाली गुजरी थी, सारे आस पास के घरों में बिजली की सुंदर लड़ियाँ लटक रही थी। बहुत सुंदर वातावरण था, उसके घर पर भी सुंदर लड़ियाँ जगमग कर रही थी, वो लड़ियाँ झूले के आस पास भी लगाई हुई थी, मैंने कहा "ये लाइट्स…..", वो मेरा मतलब समझ गई और उसने सारी बत्तियां बुझा दी, हम दोनों झूले के पास आ गए थे