दस्तक दिल पर - भाग 2

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"दस्तक दिल पर"किश्त- 2गुलाबी सर्दी का अहसास हो रहा था।दिल मे धुकधुकी लगी थी कि कहीं देर हो जाने की वजह से वो मना न कर दे। मैं भी ये सोच कर असमंजस में था कि उसके पड़ोसी क्या कहेंगे। पशोपेश की स्तिथि थी ,तभी मेरा मोबाइल बजा। वही थी...पूछा "कहाँ हो?" मुझे कुछ पता होता तो बताता! उसने कहा "अब मत आना जाओ लौट जाओ".....दिल धक्क से बैठ गया, जैसे किसी ने ऊंची बिल्डिंग से फेंक दिया हो। मैंने हौले से कहा ठीक है, मेरी मरी मरी आवाज सुन उसने ऑटो वाले को फ़ोन देने को कहा। शायद उस