विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 38

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विश्वास (भाग-38) "अँकल जी आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं और ऐसा हो जाए तो बहुत अच्छा हो जाएगा।अभी पापा फ्री हो जाते हैं तो उनसे बात कर लेते हैं"। उत्साहित भुवन बोला। "अरे बेटा इतनी जल्दी नहीं है, आराम से फ्री हो कर बात करके बताना। फिर आगे की बात कर लेेंगे पापा के साथ बैठ कर"। उमेश जी ने कहा।टीना इन सब बातों से बेखबर अकेली छत पर खड़ी थी। उसको अकेला देख नरेन भी वहाँ पहुँच गया।"यहाँ अकेली क्यों खड़ी हो? "टीना -- कुछ नहीं ऐसे ही देख रही हूँ सबको।नरेन --- ठीक है। टीना -- अब