कामवाली बाई - (अन्तिम भाग)

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हम आराम कर ही रहे थें कि वें बुजुर्ग फिर से हमारे पास आएं तो अम्मी ने पर्दा कर लिया,तब बुजुर्गों को देखकर पर्दे का चलन था,फिर चाहें वो बुजुर्ग किसी भी गाँव का ही क्यों ना हो और वें मेरे अब्बाहुजूर से बोलें.... बेटा!कौन से गाँव जाना है? जी!यहाँ से कुछ कोसों दूर इमलिया गाँव है वहाँ जाना है,अब्बाहुजूर बोलें... जी!बहुत अच्छा!लेकिन बेटा थोड़ी सावधानी बरतना,क्योकिं मैनें देखा है कि बहु और बच्चियों ने कीमती जेवरात पहनें हैं?बुजुर्ग बोलें.... जी!सावधानी किसलिए चचाजान?मेरे अब्बा ने पूछा।। बेटा!इधर आस पास के इलाकें में बहुत डकैत लगते हैं और ख़ासकर ब्याह बारातों