प्रेम गली अति साँकरी - 27

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27 =============== उत्पल वाकई बहुत अच्छा, सभ्य लड़का था और मेरा मन बार-बार उसकी ओर झुक रहा था | वैसे मैं उसे अपने से दूर रखने का प्रयास करती लेकिन मन कभी कोई बात सुनता है क्या? जितना मैं उससे दूर रहने का प्रयास करती, उतना ही मेरी आँखों के सामने उसकी तस्वीर बार-बार आ जाती | वह और दिव्य दोनों मेरी दोनों आँखों में झिलमिलाते रोशनी से चमक पैदा करते रहते | मैं समझ नहीं पा रही थी इतनी उद्विग्न क्यों रहती हूँ? हाँ, एक महत्वपूर्ण बात थी, कला-संस्थान का काम मेरे साथ मिलकर सब ही लोगों ने संभाल