प्रेम गली अति साँकरी - 23

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23 -- प्यार के बारे में बात करना जितना आसान है उतना ही उसे महसूस करके उस राह पर चलना कठिन! प्यार बाँधता नहीं, खोलता है, मुक्ति देता है प्यार भौतिक से आध्यात्म की यात्रा है इसीलिए जब प्यार शरीर पर आकर ठहर जाता है तब आपस में बैर-भाव, अहं ---अपने साथी को समझने की जगह उस पर दोषारोपण बड़ी आसानी से होने लगता है दरसल, बिना किसी समझदारी के हमबिस्तर होना प्यार नहीं हाँ, उसे शारीरिक ज़रूरत कहा जा सकता है मेरे सामने शरीर की ज़रूरत के कई उदाहरण थे और मेरे मन में जो