मुस्कान - एक अधूरी प्रेम कहानी - 37

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दिनेश गुस्से में "सामने होती तो रोज दो चार थप्पड़ खाती मेरे हाथों से" हैप्पी- ओहो सच्ची मेंदिनेश- हूहहैप्पी- ओकेदिनेश- नाराज है कोई तुमसे हैप्पी- क्यों दिनेश- अपने आपसे पूछो हैप्पी- अब बताओ ना दिनेश- नहीं बताना... यह अच्छा है मनाओ मत ऊपर से और गुस्सा दिलाओलेकिन हैप्पी का कुछ देर तक मैसेज नहीं आयादिनेश- कुछ बोलो भी पता है यहीं पर हो हैप्पी- हम्म दिनेश- नाराज हू... मनाने में जान जा रही है हैप्पी- हम्म दिनेश- ओके फाइन रहो ऐसे ही मैं अभी से कंप्यूटर क्लास जा रहा हूं हैप्पी- अच्छा जी जाकर दिखाओ पैर काट दूंगी दिनेश- ओहो.....