इल्या कुछ देर तक चुप रहा और फिर उसने अपना सिर झटक कर कहा ," में बहादुर हूं । मुझे यह शोभा नहीं देता कि चक्करदार रास्ते से जाऊं ओर शहर की सीधी सड़क सिटी बाज डाकू के कब्जे में छोड़ दूं । मै इस सीधी सड़क से ही जाऊंगा , जिस पर तीस साल से कोई नहीं गया है।"यह कह कर इल्या कूदकर घोड़े पर सवार हो गया । उसने घोड़े को एक चाबुक लगाया और पलक मारते ही आंखों से ओझल हो गया ।इल्या की रफ्तार इतनी जादा थी कि कोई भी उसको जाते ना देख सका |शहर