सोई तकदीर की मलिकाएँ - 40

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  सोई तकदीर की मलिकाएँ    40   40 सुभाष बस का डंडा पकङ कर खङा खङा अपने भाग्य या दुर्भाग्य के बारे में सोच रहा था । किस्मत ने उसे प्रेम डगर की ओर पहुँचा दिया था । जयकौर राह चलते उसकी जिंदगी में आकर उसकी रूह में बस गयी थी । वे हर रोज खेत इकटठे जाते । इकट्ठा ही मिल कर चारा काटते । उनका गट्ठर बनाते और चारा काट कर बातें करते हुए गाँव की फिरनी तक इकट्ठे लौटते . वहां से लग अलग गर लौट आते । इससे ज्यादा लेने के बारे में उसने कभी