श्राप एक रहस्य - 29

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"सकुन्तला क्या तुम हो..? तुम यहाँ कैसे आयी..?""जैसे हर दिन तुम आते हो...?""लेकिन तुम यहाँ क्यों आयी हो। देखो यहां बहुत ख़तरा है।""खतरा....हम्म जानती हूं तुमसे बहुत ख़तरा है अब, इन दिनों तुम अपने ही लोगो को मार जो रहे हो।"सकुन्तला का इतना बोलना था कि अखिलेश बर्मन के पास खड़े दिलेर साहू के कान ऊंचे हो गए, वे चार कदम पीछे हट गए।"ये क्या बोल रही हो तुम..? लगता है पागलपन अभी तक उतरा नहीं तुम्हरा...मै भला क्यों मारूँगा अपने लोगों को..?" "ये सवाल तो अपने भीतर के आत्मा से पूछना चाहिए तुम्हें, तुमने पहले अपने ही बेटे को