पिछले अध्याय में अथर्ववेद के मंत्र प्राण ऊर्जा से उपचार के विषय मे क्या कहते है ? उनका उदाहरण देकर अर्थ के साथ मैने उल्लेख किया था । मंत्रो से भी चिकित्सा क्या होती है ? इस प्रश्न पर अपने विचार फिर कभी रखूंगा ।यहां हम बात मंत्र शक्ति की नही कर रहे, हम मन की शक्ति की बात कर रहे है । अब हम मनकी शक्ति को अन्य प्रकार से समझते हैं । भावना शक्ति व इच्छा शक्ति दोनों ही एक ऊर्जा है । या ऐसा भी कह सकते हैं भावना और इच्छा शक्ति दोनों मन का ही विस्तार