बद्री काका और केतकी का पापा डाक्टर साहब से मिलकर खुश थे । डाक्टर साहब की बड़ाई करते हुए ..बद्रीकाका बोला..विजय जी ! डाक्टर साहब बड़े नेक दिल इंसान हैं , उन्होंने हमारी तकलीफ को महसूस किया और हां कर दी । केतकी का पापा बोला भाईजी ! अब तो मै भी उतावला हो रहा हूँ ,मेरी बेटी को देखने के लिए । इसतरह आपस मे बात करते हुए दोनों घर पहुंच जाते हैं ...उधर घर पर केतकी की मा घर के बाहर ही बैठी हुई थी, उसके साथ में बद्री काका की पत्नी भी बैठी थी । केतकी की