प्रेम गली अति साँकरी - 4

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4-- क्या यही प्यार था ? वेदान्त की हालत उस बच्चे की तरह हो रही थी जिसके हाथ में किसी ने गैस के गुब्बारों का गुच्छा पकड़ा दिया हो और वह उसके हाथ से छूटकर उड़ गया हो वह उत्सुकता और उत्साह से उसे फिर से पकड़ने के प्रयास में अनमना हो कि अचानक वह गुब्बारे फिर उसके सामने लहराने लगे हों, कि लो पकड़ लो हमें ! यूँ तो दिल के धड़कने के लिए कालिंदी की यादें, उसका नाम ही काफ़ी था किन्तु उस पर समय का आवरण चढ़ चुका था, आज अचानक आवरण में से उसका