" प्रेम कहानी" - प्रबोध कुमार गोविलये कहानी जयपुर की है।- कहां की?ल बाज़ार की। रास्ते का नाम भी बताऊं? खूंटेंटों का...- अरे अरे आप तो नाराज़ हो गए। मेरा तो बस इतना निवेदन था कि कहानी सच्ची हो तो अच्छा है। वो क्या है ना, कि पाठक पसंद करते हैं सच्ची बात।- झूठ मत बोलो। कोई नहीं पसंद करता। पढ़ता ही कौन है आजकल?- अरे आप तो फिर गुस्सा हो गए...- नहीं- नहीं गुस्सा क्यों होऊंगा? गुस्सा तो गुरुजी हो गए थे।- गुरुजी? कौन गुरुजी? किसके...- जानना चाहते हो तो सुनो - मैं अपने कमरे में था और कमरे