विश्वास - कहानी दो दोस्तों की - 13

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विश्वास (भाग--13)डॉ. से मिल कर उमा जी को तसल्ली हुई। कमरे में आकर उन्होंने मीनल को फोन करके सब बताया। "हाँ माँ अब उसको घर ही ले आएगें बाकी सब तो घर से ही हम मैनेज कर लेंगे"। मीनल ने कहा तो उन्होंने भी "ठीक कह रही हो बहु", अच्छा अब फोन रखती हूँ।सब कुछ रोज जैसा ही चल रहा था। टीना और दादी लूडो खेल कर हटी तो उसने दादी को सरला जी के कमरे से हो कर आने को कहा। "ठीक है मेरी दादी माँ देख आती हूँ, तू इतनी समझदार क्यों है मेरी परी"। दादी की बात