मेरी अरुणी - 8

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उस लाश की हालत बहुत खराब थी। पूरा शरीर फूला हुआ और चेहरा डरावना। अगर शरीर पर कपड़े और गहने ना होते, तो पहचानना मुश्किल हो जाता कि यह रानी मां हैं। रात में अंतिम संस्कार का रिवाज नहीं है। इसलिए तुरंत ही लाश को सुबह तक ठीक रखने का इंतजाम किया गया। अरुंधती एक कोने में बैठी कांपती रही। एक शब्द भी नहीं बोली।शांतनु ने ही पूछा, “आप लोगों ने रानी मां को अकेले जाने ही क्यों दिया?”जवाब वकील साहब ने दिया, “मेरा ड्राइवर गया था उनके साथ। लेकिन बाद में उन्होंने उसे बीच रास्ते में ही जाने को