खामोश है तो कहते है उदासी इतनी अच्छी नही।

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मेरे अंतरमन के उद्गार का शांत हो जाना भी तो कोई खामोशी ही है। किसी को भूख लगी हो और सहसा उसको कोई अप्रिय या अग्नि वेग जैसी खबर मिले तो वह पल भी खामोशी में परिवर्तित हो जायेगा। किसी अबला स्त्री का प्रतिपल शोषण भी तो खामोशी का परिचय है। सघन वन में सभी वृक्ष तैयार हो। परंतु पत्तो का न हिलना भी तो जंगल और ज़मीन की खामोशी को दर्शाता है। जो लब्जो से न होकर आंखो से बयां हो जाए वह भी तो खामोशी है। खामोशी बहुत सुंदर और सजग स्वप्न की तरह है। अगर वह किसी