सेहरा में मैं और तू - 17

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( 17 )रोहन चला गया। कबीर कुछ मुस्कुराते हुए उसे जाता हुआ देखता रहा।कबीर ने लैंप ऑफ़ किया और टांगें फ़ैला कर बिस्तर पर पसर गया। उसे कुछ अजीब सी थकान थी, जल्दी ही नींद आ गई।आधी रात का वक्त हो चला था और आसपास से आती हुई आवाज़ें भी मंद पड़ चुकी थीं। सारा आलम जैसे नींद के आगोश में आने लगा हो।कबीर गहरी नींद में था।तभी उसने अपनी पीठ पर बंदर की तरह उछल कर कूदते हुए किसी को महसूस किया। शायद रोहन लौट आया था।ओह! उसे ये बात ज़रा भी पसंद नहीं थी। ये रोहन भी यहां