सेहरा में मैं और तू - 3

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पुरानी बातों का कोई भी अस्तित्व चिन्ह अब यहां नहीं था। अब न राजमाता जीवित थीं और न ही उनके उस छोटे सुपुत्र के बारे में कोई ये जानता था कि वो अपनी वृद्धावस्था कहां और किस अवस्था में रह कर गुजार रहा है।अब तो एक से बढ़ कर एक इन उत्साही खिलाड़ी नौजवानों का दिन हर रोज़ सूरज के साथ ही यहां उगता था और दिन भर उमंगों से लबरेज़ रहता था। ये सभी युवक यहां निशाने बाज़ी का प्रशिक्षण ले रहे थे। इन्हें देश विदेश की छोटी बड़ी स्पर्धाओं के लिए तैयार किया जाता था। एक अलग ही