"अब 'विद्युदभि' तुम मुझे लाकर दोगी निशा" आयुष वापस अपने हत्यारे के रूप में आते हुए बोला। निशा व्यंग्य से मुस्कुराते हुए-" जैसे तुम मुझे मजबूर कर ही लोगे आयुष। तुम मुझे मार तो सकते हो आयुष, पर मजबूर नहीं कर सकते।" आऽ हाऽहाऽहाऽहा.....बड़ी मुर्ख हो तुम निशा, तुम्हे मार दूंगा तो मुझे 'विद्युदभि' कौन लाकर देगा..... ना... ना... ना..... निशा, इतना चौंकने की जरुरत नहीं। ये तो सिर्फ मैंने माफिया बॉस को उकसाने के लिए कहानी घड़ी थी। असलियत में तो विद्युदभि को कोई सरल ह्रदय ही छू सकता है। हाँ, वो चाहे तो उसे किसी को भी सौंप