राजा के पुत्र को उनके पिता की बिगड़ी तबीयत और चोटों के विषय में कुछ नहीं बताया गया था। क्यूंकि इस वक़्त उनकी उम्र महज़ तेरह साल की थी और वे इन दिनों तरह तरह के महत्तवपूर्ण अभ्यासों में व्यस्त थे। उनके गुरु नहीं चाहते थे कि इस तरह की खबरें उसका ध्यान भंग करें। वो विचलित होकर यहां से चला जाएं। लेकिन दूसरे शिष्य ने जाकर जो बातें उसे बताई उसे सुनकर राजा का पुत्र उसी दिन गुरुकुल से नगर के लिए निकल पड़ा। उसने अपनी वेशभूषा बदल ली थी। फकीरों की तरह वो महल में आया। उसके आने